The scientist who made the country a nuclear power passed away | परमाणु साइंटिस्‍ट एम आर श्रीनिवासन का निधन: देश का पहला न्यूलियर रिएक्‍टर ‘अप्‍सरा’ बनाया; तीनों पद्म सम्‍मान मिले; जानें कंप्‍लीट प्रोफइल


1 घंटे पहले

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भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम पर काम करने वाले साइंटिस्ट MR श्रीनिवासन का आज 20 मई को तमिलनाडु के ऊटी में निधन हो गया। वो 95 साल के थे। उनकी बेटी शारदा श्रीनिवासन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सोमवार को वो अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया। मंगलवार सुबह 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

ब्रिटिश भारत में जन्मे, कनाडा जाकर पढ़ी गैस टर्बाइन टेक्‍नोलॉजी

एम आर श्रीनिवासन का जन्म 5 जनवरी 1930 को ब्रिटिश भारत के बेंगलुरु में हुआ। उन्‍होंने मैसुर के इंटरमीडिएट कॉलेज से साइंस में पढ़ाई की। इस दौरान उन्‍होंने इंग्लिश और संस्कृत को लैंग्वेज ऑफ मीडियम के तौर पर चुना।

1950 में उन्‍होंने एम विश्वेश्रैया के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। 1952 में मास्टर्स पूरा करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा के मॉन्ट्रियल की मैकगिल यूनिवर्सिटी गए। यहां उन्‍होंने गैस टर्बाइन टेक्नोलॉजी में स्पेशलाइजेशन के साथ PhD की।

देश को न्‍यूक्लियर पावर बनाने में अहम रोल निभाया

सितंबर 1955 में श्रीनिवासन डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी से जुड़े। यहां उन्‍होंने भारत के परमाणु ऊर्जा के जनक होमी जहांगीर भाभा के साथ काम करना शुरू किया। दोनों ने अगस्‍त 1956 में देश का पहला न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर ‘अप्‍सरा’ बनाया।

24 जनवरी 1966 को होमी भाभा की मृत्यु हो गई, लेकिन श्रीनिवासन और बाकी टीम जानती थी कि देश को न्यूक्लियर शक्ति बनाने के लिए आगे क्या करना है। श्रीनिवासन ने विक्रम साराभाई, डॉ. होमी सेठना, डॉ. राजा रामन्ना, डॉ पी के आयंगर, डॉ आर चिदंबरम और डॉ अनिल काकोड़कर के साथ भी काम किया।

श्रीनिवासन एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन बने। 1987 में उन्‍होंने महाराष्‍ट्र के मुंबई में NPCIL यानी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की। NPCIL ने उनकी लीडरशिप में देश में 18 न्यूक्लियर पावर यूनिट्स बनाईं।

श्रीनिवासन वर्ल्‍ड एसोसिएशन ऑफ न्‍यूक्लियर ऑपरेटर्स (WANO) के फाउंडर मेंबर, इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग एंड इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के फेलो और इंडियन न्‍यूक्लियर सोसाइटी के इमेरिटस फेलो भी रहे।

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