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9 घंटे पहले
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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि फ्रेश लॉ ग्रेजुएट्स अब ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम्स में शामिल नहीं हो सकेंगे। कोर्ट ने आदेश दिया कि एंट्री लेवल के पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को कम से कम 3 साल की वकालत का अनुभव अनिवार्य होगा।
ये आदेश ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि ज्यूडिशियल लेवल के पदों के लिए कोर्ट रूम एक्सपीरियंस बेहद जरूरी है।
बेंच ने कहा, ‘कई हाईकोर्ट्स में देखा गया है कि फ्रेश लॉ ग्रेजुएट्स की नियुक्तियों से कठिनाइयां पैदा हुई हैं। ज्यूडिशियल एफिशिएंसी बनाए रखने के लिए प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस बहुत जरूरी है।’
3 साल का कोर्टरूम एक्सपीरियंस जरूरी
बेंच ने कहा कि अब से एंट्री लेवल के सिविल जज पदों के लिए ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम में बैठने वाले एस्पिरेंट्स को कम से कम 3 साल का एक्सपीरियंस होना जरूरी होगा।

फ्रेश ग्रेजुएट्स की भर्ती को लेकर हुई थी शिकायत
ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से शिकायत की थी कि फ्रेश ग्रेजुएट्स को कोर्टरूम की वर्किंग का अनुभव नहीं होने की वजह से परेशानियां हो रही हैं। अभी तक अधिकतर राज्य लॉ डिग्री के तुरंत बाद स्टेट ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम में बैठने की अनुमति देते थे। इसमें यूपी PCS(J), एमपी सिविल जज क्लास II, राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस, बिहार ज्यूडिशियल सर्विस शामिल हैं।
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