11 मिनट पहले
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14 अप्रैल को दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा था। इस वीडियो में कॉलेज की प्राचार्या डॉ. प्रत्यूष वत्सला कॉलेज की क्लासेज की दीवारों पर गोबर लीपती नजर आ रही हैं। इसे लेकर अब दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन यानी DUSU अध्यक्ष रौनक खत्री ने गोबर लेकर प्राचार्या के कमरे में ही लीपने पहुंच गए।
प्रिंसिपल के ऑफिस की दीवारों पर लगाया गोबर
DUSU अध्यक्ष रौनक खत्री कॉलेज के अन्य छात्रों को लेकर प्रिंसिपल के कमरे में गोबर लेकर पहुंच गए। हालांकि इस समय तक प्रिंसिपल वहां से जा चुकी थी। ऐसे में स्टूडेंट्स का सामान कॉलेज की उप-प्रधानाचार्या से हुआ जिन्होंने छात्रों को रोकने की कोशिश की।
छात्रों ने कहा कि अगर स्टूडेंट्स की क्लासरूम में गोबर लगाया जा सकता है तो प्रिंसिपल के रूम में भी लगा सकते हैं। प्रिंसिपल के रूम से AC निकाला जाए और सभी दीवारों पर गोबर लगाया जाए। इसके बाद स्टूडेंट्स ने गोबर लिया और प्रधानाचार्या की कमरे की दीवारों को लीपना शुरू कर दिया।
DUSU अध्यक्ष ने कहा- प्रिंसिपल के कमरे में भी हो ये टेक्नोलॉजी
इसे लेकर DUSU अध्यक्ष रौनक खत्री ने एक वीडियो जारी कर कहा- ‘लो जी, देख लो, विकसित भारत की टेक्नोलॉजी। जैसा कि वीडियो में नजर आ रहा है हमारी प्रिंसिपल महोदया एक क्लासरूम के अंदर गोबर लगा रही हैं ताकी बिना AC के भी ठंडक बनी रहे।’
रौनक आगे कहते हैं कि मैडम कल मैं आ रहा हूं आपके पास गोबर लीपने के लिए। आप भी अपने ऑफिस में गोबर लगवाएं। हम भी आपके साथ गोबर लीपेंगे क्योंकि ठंडक तो सबको मिलनी चाहिए। जब छात्र गोबर वाली ठंडक में बैठ सकते हैं तो प्रिंसिपल गोबर वाली ठंडक में काम कर सकती हैं।
रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है- प्राचार्या
प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला के मुताबिक यह रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है। उन्होंने खुद ही कॉलेज के शिक्षकों के साथ यह वीडियो शेयर किया है।
इसके बारे में प्रिंसिपल का कहना है यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो कॉलेज के एक फैकल्टी सदस्य की देखरेख में चल रहा है। रिसर्च फिलहाल प्रक्रिया में है और पूरा डेटा एक हफ्ते बाद साझा किया जाएगा।
डॉ. वत्सला ने कहा, ‘यह रिसर्च कॉलेज के पोर्टा कैबिन्स (एक प्रकार का कमरा) में की जा रही है। मैंने खुद एक कमरे की दीवार पर गोबर लगाया क्योंकि मिट्टी और गोबर जैसे प्राकृतिक चीजों को छूने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ लोग बिना जानकारी के अफवाह फैला रहे हैं।’
प्रिंसिपल के अनुसार इस प्रोजेक्ट का नाम ‘पारंपरिक भारतीय ज्ञान का उपयोग करके थर्मल स्ट्रेस कंट्रोल का अध्ययन’ है।
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