56 मिनट पहले
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ब्रिटिश न्यूज चैनल द स्काई को एक इंटरव्यू दिया जिसे लेकर अब वे सुर्खियों में बने हुए हैं। इस इंटरव्यू में ख्वाजा आसिफ ने माना कि पाकिस्तान 30 साल से आतंकवादियों का समर्थन कर रहा है और उन्हें ट्रेनिंग दे रहा है। उन्होंने कहा कि वे अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए यह ‘गंदा काम’ कर रहे हैं।
ख्वाजा आसिफ ने यह भी माना कि आतंकियों का समर्थन करना या ट्रेनिंग देना बड़ी गलती थी। हम इसकी सजा भुगत रहे हैं।
पहलगाम मामले को लेकर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान नहीं, बल्कि भारत दोषी है। यदि भारत हमारे खिलाफ कोई एक्शन लेता है, तो पाकिस्तान उसका उसी तरह जवाब देगा।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि दुनिया को चिंतित होना चाहिए क्योंकि दोनों ही देशों (भारत और पकिस्तान) के पास परमाणु हथियार हैं।
1991 में राजनीतिक सफर शुरू किया
ख्वाजा आसिफ का जन्म 9 अगस्त 1949 को पंजाब के सियालकोट में हुआ। ख्वाजा मोहम्मद सफदर उनके पिता थे जो पाकिस्तान मुस्लिम लीग के बड़े नेता थे। 1947 में हुई पाकिस्तान मूवमेंट में ख्वाजा सफदर का अहम रोल रहा।
ख्वाजा आसिफ पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो कश्मीर में बस गया था। कैडट कॉलेज हसन अब्दाल से आसिफ की शुरुआती पढ़ाई हुई। इसके बाद गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी लाहौर से उन्होंने ग्रेजुएशन किया।
1970 में यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, लाहौर से LLB की डिग्री हासिल की। 1975 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद आसिफ एक बैंकर के तौर पर UAE में काम करने लगे और सालों वहीं रहे। 1991 में उनके पिता की मृत्यु हो गई जिसके बाद पिता की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें पाकिस्तान लौटना पड़ा।
ख्वाजा आसिफ की तीन बेटियां और एक बेटा है।

नागरिकता को लेकर सवाल उठे, भ्रष्टाचार के आरोप लगे
मिलिट्री टेकओवर के बाद पाकिस्तान के वर्तमान रक्षा मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग चुके हैं और इसके लिए नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो उन्हें हिरासत में भी ले चुका है। हालांकि उन्हें कुछ ही देर बाद छोड़ दिया गया था।
2012 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई जिसके अनुसार ख्वाजा आसिफ के पास दो देशों की नागरिकता है। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार दो नागरिकताओं वाले लोग मंत्री पद पर नहीं बने रह सकते। हालांकि कोर्ट में ये याचिका खारिज कर दी गई थी।
2013 के इलेक्शन में ख्वाजा आसिफ जीत गए थे। लेकिन पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने फेक वोटों का इल्जाम लगाते हुए उनकी जीत को गलत बताया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बार भी आसिफ का साथ दिया था।
2018 में उन पर आरोप लगे कि UAE में वर्क परमिट के साथ वो पाकिस्तान में मंत्री पद नहीं बने रह सकते। 2020 में आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया। 2023 में अपोजिशन की महिला नेता के खिलाफ अभद्र टिपण्णी कर चुके हैं। 2024 में हुए इलेक्शन में आसिफ की जीत को दूसरी पार्टियों ने अस्वीकार किया था।
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