Father is a school manager and son is a UPSC topper from EWS | पिता स्‍कूल प्रबंधक और बेटा EWS से UPSC टॉपर: सोशल मीडिया पर फिर उठे EWS कोटा पर सवाल, जानें क्‍या है क्राइटेरिया-लूपहोल


7 घंटे पहले

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UPSC सिविल सर्विस परीक्षा का फाइनल रिजल्ट 22 अप्रैल को जारी हुआ है। इसके बाद से जौनपुर के गौतम सिंह का नाम सोशल मीडिया पर वायरल है, जिन्होंने 526वीं रैंक हासिल की है। दरअसल, उन्‍हें ये रैंक EWS यानी इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन कैटेगरी के तहत मिली है, जबकि दावा है कि वो एक सक्षम परिवार से आते हैं।

गौतम के दादा स्व. त्रिभुवन सिंह ने जौनपुर में एक स्कूल नेहरू बालोद्यान इंटर कॉलेज, कन्हईपुर की स्थापना की थी। उनके पिता डॉ. सीडी सिंह जौनपुर के नेहरू बालोद्यान स्कूल के चेयरमैन हैं।

ये पहला मौका नहीं है। लगभग हर साल EWS कैटेगरी से सक्षम उम्‍मीदवारों के UPSC क्लियर करने के दावे सोशल मीडिया पर किए जाते हैं।

दिल्ली के पीतमपुरा की रहने वाली अनु बेनीवाल 2022 बैच की IPS हैं। उन्हें 217वीं रैंक मिली थी। अनु का सिलेक्शन EWS कैटेगरी में हुआ है। दावा किया गया कि वो IPS संजय बेनीवाल की बेटी हैं, ऐसे में एक रिटायर्ड IPS की बेटी का चयन EWS के तहत कैसे हो गया।

EWS कैटेगरी के तहत रिजर्वेशन पाने के लिए भारत सरकार ने कुछ विशेष आर्थिक और संपत्ति से जुड़े पैरामीटर्स तय किए हैं। ये रिजर्वेशन जनरल यानी अनारक्षित कैटेगरी के उन उम्मीदवारों को दिया जाता है जो सामाजिक या शैक्षणिक रूप से पिछड़े नहीं हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

OBC क्रीमीलेयर के लिए कैंडिडेट के पेरेंट्स की इनकम जांची जाती है, जबकि EWS क्राइटेरिया के लिए पेरेंट्स और कैंडिडेट दोनों की इनकम की जांच की जाती है।

सालाना इनकम के आधार पर EWS में बने रहते हैं कैंडिडेट्स

क्राइटेरिया के अनुसार, पिछले फाइनेंशियल ईयर में कैंडिडेट की फैमिली की कुल इनकम 8 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर पिता 50 हजार महीना कमाते हैं तो साल भर की सैलरी 6 लाख होगी। वहीं, मां 20 हजार हर महीने कमाती है, तो सलाना 2 लाख 40 हजार एक साल की इनकम होगी।

अब ये इनकम कैंडिडेट को EWS कैटेगरी में आने के लिए 40 हजार रुपए से ज्यादा हो गया है। तो ऐसे में EWS स्लैब में आने के लिए कैंडिडेट अपनी मां को 3 महीने की लीव लेने को बोल देता है। ये लीव विदाउट पे (LWP) होनी चाहिए।फिर 3 महीने की छुट्टी लेते ही मां की इनकम 1 लाख 80 हजार हो जाएगी और फैमिली की इनकम 8 लाख से 20 हजार कम यानी 7.8 लाख हो जाएगी। अब ये पर्सन EWS कैटेगरी के लिए एलिजिबल हो जाएगा।

EOL लेकर EWS कैटेगरी में बने रहते हैं कैंडिडेट्स

मान लीजिए यही कैंडिडेट UPSC एग्जाम क्लियर करके IPS के लिए चयनित हुआ। लेकिन उसे IAS के लिए दोबारा अटेम्‍प्‍ट करना है। IPS की शुरुआती सैलरी 70 हजार रुपए प्रतिमाह होती है। ऐसे में उसकी सलाना सैलरी 8.4 लाख रुपए हो जाएगी। वहीं, फैमिली की कुल इनकम 16.8 लाख रुपए सलाना हो जाएगी। यानी वो कैंडिडेट EWS स्लैब से बाहर हो जाएगा।

इस कंडिशन में कैंडिडेट सरकार में रहते हुए एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव यानी EOL ले लेते हैं। EOL 1 साल के लिए मिलता है और अक्‍सर इस दौरान कैंडिडेट्स दोबारा UPSC CSE में शामिल होते हैं।

EOL एक तरह का लीव विदाउट पे होता है। इस तरह कैंडिडेट को सैलरी नहीं मिलती और मां फिर से 3 महीने की छुट्टी दिलाकर वो EWS कैटेगरी में शामिल हो जाता है। EOL खत्म होने के बाद कैंडिडेट्स कभी मां को रिजाइन दिला देते हैं और पिता को कुछ महीने छुट्टी पर रहने के लिए कहते हैं, ताकि वो EWS में बने रहे।

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