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मंगलवार को जाने माने एस्ट्रोफिजिसिस्ट प्रोफेसर जयंत विष्णु नार्लीकर का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। पुणे स्थित अपने घर में उन्होंने अंतिम सांस ली। 2 हफ्ते पहले उनकी हिप सर्जरी हुई थी जिससे वो रिकवर हो रहे थे।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मे
प्रो जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 19 जुलाई 1938 को हुआ। उनके पिता विष्णु वासुदेव नार्लीकर मैथमेटीशियन और थ्योरिटिकल फिजिसिस्ट थे जो बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी के मैथ्स डिपार्टमेंट में HOD थे। उनकी मां सुमाती नार्लीकर संस्कृत की स्कॉलर रहीं।
उन्होंने बनारस के सेंट्रल हिंदु बॉयज स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की। 1959 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से मैथ्स में ग्रेजुएशन किया। 1960 में एस्ट्रोनॉमी के लिए टायसन मेडल मिला। कैम्ब्रिज में डॉक्टोरल पढ़ाई के दौरान 1962 में स्मिथ्स प्राइज मिला।

IUCAA, पुणे की स्थापना की
1972 में प्रोफेसर नार्लीकर भारत लौट आए और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) जॉइन किया जहां उन्होंने थियोरेटिकल एस्ट्रोफिजिक्स ग्रुप बनाने में अहम योगदान किया।
1988 में UGC यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने उन्हें पुणे में IUCAA यानी इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स की स्थापना करने के लिए बुलाया। प्रो. नार्लीकर ने इसे एस्ट्रोफिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी के ग्लोबल रिसर्च एंड टीचिंग सेंटर की तरह डेवलप किया।
बिंग बैंग थ्योरी को किया था चैलेंज
प्रोफेसर जयंत नार्लीकर और फ्रेड होयले ने होयले-नर्लीकर थ्योरी ऑफ ग्रैविटी दी थी। ये थ्योरी सीधे तौर पर बिंग बैंग थ्योरी को चैलेंज कर रही थी। इसमें कहा गया था कि यूनिवर्स की कोई शुरुआत और अंत नहीं है। ये हमेशा से एग्जिस्ट करता रहा है। केवल लगातार बड़ा हो रहा है। लगातार नया मैटर बन रहा है लेकिन क्योंकि यूनिवर्स फैल रहा है तो डेंसिटी में बदलाव नहीं हो रहा। होयले-नार्लीकर थ्योरी बिग बैंग थ्योरी के मुकाबले मैथेमैटिकली ज्यादा मजबूत थी।
वहीं बिग बैंग थ्योरी कहती है कि करीब 14 बिलियन साल पहले हॉट-डेन्स पॉइंट से यूनिवर्स की शुरुआत हुई और तभी से यूनिवर्स फैल रहा है।

2003 में रिटायर होने के बावजूद वो IUCAA के साथ एमेरिटस प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा उन्होंने फिक्शन और नॉन-फिक्शन की कई किताबें भी लिखीं।
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