cbse asked schools to form sugar board Excess Sugar Causes Early Puberty in Kids Healthy options of Sugar | CBSE ने स्‍कूलों को शुगर बोर्ड बनाने का निर्देश दिया: मीठे से हो रही अर्ली प्‍यूबर्टी, टाइप 2 डायब‍िटीज; जानें मीठे के हेल्‍दी ऑप्‍शंस


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3 घंटे पहले

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CBSE बोर्ड ने बच्चों में बढ़ते डायबिटीज के खतरे को देखते हुए सभी स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ लगाने के निर्देश दिए हैं। इस बोर्ड में शुगर इंटेक से जुड़ी जरूरी जानकारी होगी जैसे, हर दिन कितनी शुगर ली जा सकती है या जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स में कितनी शुगर होती है।

इसी के साथ इन बोर्ड्स के जरिए उन हेल्थ रिस्क्स के बारे में बताना होगा जो ज्यादा शुगर लेने से होते हैं और शुगर के हेल्दी ऑप्शन्स क्या हैं। इससे स्टूडेंट्स अपने खाने को लेकर जागरूक होंगे और लंबे समय तक बीमारियों से दूर रह पाएंगे।

CBSE ने यह आदेश भी दिया है कि स्टूडेंट्स को शुगर इंटेक को लेकर जागरूक करने के लिए स्कूलों में वर्कशॉप्स और सेमिनार्स का आयोजन भी किया जाए।

टाइप 2 डायबिटीज के शिकार बन रहे बच्चे

डायटीशियन निधी पांडे का कहना है कि पिछले एक दशक में बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे पहले ये समस्या केवल व्यस्कों में नजर आती रही थी। इसकी एक बड़ी वजह है जरूरत से ज्यादा शुगर कंज्यूम करना। आज के समय में हाई शुगर वाली चीजें बच्चों को आसानी से मिल जाती हैं।

इससे न सिर्फ डायबिटीज का खतरा है बल्कि मोटापा, डेंटल प्रॉब्लम्स, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स भी होता है जिससे बच्चों की लॉन्ग टर्म ग्रोथ और एकेडमिक परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है। 4 से 10 साल की उम्र के बच्चों की कैलोरी इंटेक का अधिकतम 5% ही शुगर होना चाहिए, मगर स्टडीज में पाया गया है कि ये अब बढ़कर 13% हो चुका है।

‘ज्यादा मीठा खाने से प्यूबरटी जल्दी आ रही’

डायटीशियन पांडे का कहना है कि छोटी उम्र में बच्चों को ज्यादा मीठा खिलाने से उनके टेस्ट के सेंसेज कम उम्र से ही कमजोर होने लगते हैं। ऐसे में उन्हें हमेशा ज्यादा मीठे की जरूरत महसूस होने लगती है। अत्यधिक मीठा खाने से बच्चों के पाचन संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा हर बार मीठा खाने पर बच्चों का ब्रेन रिएक्ट करता है। तभी आजकल देखा जा रहा है कि बच्चे प्यूबर्टी जल्दी हिट कर रहे हैं।

इसके अलावा जूविनाइल डायबिटीज, बीपी, PCOD, PCOS, लो टेस्टोस्टेरोन और बाल गिरने की समस्या भी अत्यधिक मीठा खाने से होती है। डायटीशियन का कहना है कि छोटा बच्चा जब मीठा मांगने लगे और पॉटी ट्रेन्ड हो जाएं तब ही उसे मीठा देना शुरू करें। इस समय तक बच्चे को सिंपल शुगर जैसे गुड़, बूरा आदी खिला कंट्रोल्ड मात्रा में खिला सकते हैं।

‘घर से ही कम मीठे की आदत डालें’

डायटीशियन नीधि पांडे कहती हैं कि अगर पेरेंट्स बच्चों को मीठे से बचाना चाहते हैं तो इसकी आदत उन्हें घर से ही डालनी होगी। साथ ही इसके लिए पेरेंट्स को भी अपनी आदतों में बदलाव करने होंगे। बच्चे अगर घर पर ही अच्छी तरह आदत डाल लेंगे तो वो बाहर जाकर भी मीठे की मांग नहीं करेंगे।

घर पर शुगर लोडेड चीजें जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट्स, आदी स्टोर करने से बचें। इसके साथ ही फ्रोजन पराठा और दूसरे फ्रोजन स्नैक्स में भी लोडेड शुगर होता है। इसलिए इनका इस्तेमाल न करें। इसके अलावा स्कूलों को सख्ती से नियम बनाना चाहिए कि बच्चे टिफिन में शुगर लोडेड चीजें नहीं ला सकते। स्कूलों की कैंटीन में भी इस तरह के आइटम्स नहीं रखने चाहिए।

इंफ्लूएंसर रेवंत हिमातसिंग्का ने की थी पहल

Foof Pharmer के नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर चैनल चलाने वाले रेवंत हिमातसिंग्का ने शुगर बोर्ड को लेकर मुहिम छेड़ी थी। उन्होंने अपील की थी कि शुगर बोर्ड हर स्कूल में होने चाहिए। इस साल जनवरी में हुए ‘परीक्षा पे चर्चा’ में भी रेवंत शुगर बोर्ड लेकर पहुंचे थे।

इस साल 'परीक्षा पे चर्चा' में शामिल हुए थे रेवंत हिमातसिंग्का (दाएं से दूसरे)।

इस साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ में शामिल हुए थे रेवंत हिमातसिंग्का (दाएं से दूसरे)।

रेवंत की मुहिम के बाद देश के कई स्‍कूलों में शुगर बोर्ड पॉपुलर हुआ था।

रेवंत की मुहिम के बाद देश के कई स्‍कूलों में शुगर बोर्ड पॉपुलर हुआ था।

देश के कई स्‍कूलों में शुरू हो चुकी है मुहिम

शुगर इंटेक कम करने की मुहिम देश के कई हिस्‍सों में शुरू हो चुकी है। कोलकाता के साउथ पॉइंट और आदित्‍य एकेडमी में मॉर्निंग एसेंबली में शुगर बोर्ड वर्कशाप शुरू हो गई हैं। इसके अलावा स्‍कूलों में फुल टाइम न्‍यूट्रिशिस्‍ट भी हायर किए जा रहे हैं।

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