Challenge to civil judge recruitment exam rules | सिविल जज भर्ती परीक्षा विवाद: भर्ती प्रक्रिया तीन माह में पूर्ण करने के निर्देश, हाईकोर्ट के फैसले के अधीन रहेंगी सभी भर्तियां – Jabalpur News



मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज (कनिष्ठ खंड) के 138 पदों पर की जा रही भर्ती प्रक्रिया को लेकर उठे विवाद के बीच तीन माह में चयन प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत एवं न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने 16 मई को व

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ज्ञात हो कि 17 नवंबर 2023 को जारी विज्ञापन के माध्यम से हाईकोर्ट में सिविल जज (कनिष्ठ खंड) के 138 पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी, जिनमें दिव्यांगजनों सहित अनारक्षित वर्ग के 31 पद और विभिन्न आरक्षित वर्गों के लिए भी पद निर्धारित किए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने विज्ञापन में ओबीसी वर्ग को किसी भी प्रकार की छूट न देने तथा सभी अर्हताएं अनारक्षित वर्ग के समान रखे जाने को चुनौती दी थी।

आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली उम्मीदवारों की अनदेखी का आरोप

याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि साक्षात्कार के लिए न्यूनतम 20 अंक की अनिवार्यता अवैज्ञानिक है और प्रारंभिक परीक्षा 14 जनवरी 2024, 26 फरवरी 2024 एवं मुख्य परीक्षा (30-31 मार्च 2024) के परिणामों के आधार पर चयन में आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली उम्मीदवारों की अनदेखी की गई है। परीक्षा का रिजल्ट 10 मई 2024 को जारी हुआ था। तीन गुना अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए चयनित करने का नियम है।

लेकिन हाईकोर्ट ने अनारक्षित वर्ग में एक भी आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया। 59 अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए सिलेक्ट किया गया और 15 अभ्यर्थी ओबीसी, एससी के मात्र तीन अभ्यर्थी और एसटी के एक भी अभ्यर्थी को सिलेक्ट नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 335 के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग को शिथिल मानदंडों के तहत अवसर दिया जाना चाहिए था।

हाईकोर्ट ने जनवरी में दिया था स्थगन आदेश

पूर्व में, हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2025 को भर्ती प्रक्रिया पर स्थगन आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 3 मार्च 2025 को पलटते हुए खाली पदों को भरने का निर्देश दिया। इसके परिप्रेक्ष्य में अब हाईकोर्ट ने 24 जनवरी के आदेश को संशोधित करते हुए नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णयाधीन माना है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा, जबकि उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता दीपक अवस्थी ने पक्ष प्रस्तुत किया। यह मामला भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता, सामाजिक न्याय एवं संवैधानिक प्रावधानों के अनुपालन से जुड़ा हुआ है, जिस पर न्यायालय का अंतिम निर्णय आने तक सभी नियुक्तियां सशर्त रहेंगी।

ऐसे थे 138 पद

विज्ञापन के अनुसार अनारक्षित वर्ग के 31, अनारक्षित वर्ग बैकलाग 17, अनुसूचित जाति के 9, बैकलाग 11, अनुसूचित जनजाति के 12 बैकलाग 109, ओबीसी के 9 बैकलाग के 1 पद, दिव्यांगों के लिए 6 पद आरक्षित थे।



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