Farmer leader Dallewal broke his fast unto death | किसान नेता डल्‍लेवाल ने आमरण अनशन तोड़ा: SI की नौकरी छोड़ खेती शुरू की थी; संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया; जानें कंप्‍लीट प्रोफाइल


1 घंटे पहले

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किसान नेता जगजीत सिंह डल्‍लेवाल ने 130 दिन के बाद 6 अप्रैल को अपना आमरण अनशन तोड़ दिया। उन्होंने मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP को लीगल गारंटी देने समेत अन्‍य मांगों को लेकर 26 नवंबर, 2024 को अनशन शुरू किया था।

रविवार को फतेहगढ़ साहिब की सरहिंद अनाज मंडी में किसान महापंचायत में डल्‍लेवाल ने अपना आमरण अनशन तोड़ने का ऐलान किया।

एक दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डल्लेवाल से अनशन खत्म करने की अपील करते हुए कहा था कि 4 मई को किसानों से चंडीगढ़ में मीटिंग करेंगे।

SI की नौकरी छोड़ खेती शुरू की

पढ़ाई पूरी करने के बाद डल्लेवाल को पंजाब पुलिस में सब-इंस्पेक्टर (SI) की नौकरी मिल गई थी। लेकिन उन्होंने उसे छोड़कर अपने पैतृक गांव में स्थित लगभग 17 एकड़ कृषि भूमि पर खेती को ही अपना फुल टाइम पेशा चुन लिया।

भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष बने

डल्लेवाल ने 1980 के दशक से किसानों के मुद्दों को उठाना शुरू किया। सरदार पिशोरा सिंह सिद्धूपुर ने 1989 में जब ‘भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर)’ की स्थापना की, तब डल्लेवाल इस संगठन से जुड़े। उन्होंने संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाईं और निरंतर संघर्ष करते हुए 2017 में इसके अध्यक्ष बने। 2017 में पिशोरा सिंह के निधन के बाद डल्लेवाल, जिन्होंने गांव स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक और फिर फरीदकोट जिला अध्यक्ष के रूप में 18 वर्षों तक कार्य किया था, उन्हें संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।

पिशोरा सिंह के निधन के बाद डल्लेवाल भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष बने।

पिशोरा सिंह के निधन के बाद डल्लेवाल भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष बने।

जब डल्लेवाल ने नेतृत्व संभाला था, तब यह यूनियन केवल 8 से 10 जिलों तक सीमित थी, लेकिन आज यह पंजाब के हर जिले में सक्रिय है और राज्य की दूसरी सबसे बड़ी किसान यूनियन बन चुकी है।

डल्लेवाल ने 23 फरवरी, 2018 को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों और कर्ज माफी की मांग के लिए ट्रैक्टरों के काफिले के साथ दिल्ली की ओर मार्च किया। पंजाब सरकार ने उन्हें संगरूर के चीमा मंडी में रोका, जहां वे 28 दिनों तक डटे रहे।

3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए

फिर, साल 2020-21 में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले डल्लेवाल ने 3 कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी यूनियन SKM का हिस्सा थी।

3 कृषि कानून-

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020

2. कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा अधिनियम, 2020

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020

इन कानूनों के विरोध में देशभर के किसानों, विशेषकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने लंबा आंदोलन किया, जिसमें धरने, भूख हड़तालें और दिल्ली बॉर्डर पर महीनों तक डेरा डालना शामिल था।

आखिरकार 19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।

डल्‍लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) के नेता हैं।

डल्‍लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) के नेता हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का गठन किया

साल 2022 संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलवीर सिंह राजेवाल के विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले से असहमति के बाद डल्लेवाल ने खुद के यूनियन को SKM से अलग कर लिया। इसके बाद उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का गठन किया। इसमें 28 किसान संगठन शामिल हैं।

8 जून 2023 को पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के बाहर भूख हड़ताल की, जिसमें 21 मांगें शामिल थीं, जैसे- ट्यूबवेलों के लिए 10 घंटे बिजली आपूर्ति। ये हड़ताल 14 जून तक चली, जब पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया।

डल्लेवाल के नेतृत्व में दिल्ली चलो 2.0 शुरू हुआ

फरवरी 2024 में दिल्ली चलो 2.0 शुरू हुआ। इस आंदोलन को डल्लेवाल ने SKM (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के साथ मिलकर नेतृत्व किया। मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय शामिल था।

भाजपा शासित हरियाणा सरकार द्वारा कड़ी बॉर्डर सुरक्षा के चलते किसानों का ‘दिल्ली मार्च’ करीब 11 महीनों तक रुका रहा। इसके बावजूद, किसानों की मांगों पर सरकार के रुख में कोई नरमी न देखते हुए, 26 नवंबर 2024 को डल्लेवाल ने पंजाब के संगरूर जिले के खनौरी प्रदर्शन स्थल पर आमरण अनशन शुरू कर दिया।

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