14 मिनट पहले
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टोक्यो ओलंपिक खेलों की सिल्वर मेडल विजेता मीराबाई चानू को मंगलवार 15 अप्रैल को इंडियन वेट लिफ्टिंग फेडरेशन (IWLF) एथलीट्स कमीशन का चेयरपर्सन चुना गया। चानू के अलावा, दो बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले एस. सतीश कुमार को आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इम्फाल से शुरू की ट्रेनिंग
चानू का पूरा नाम सैखोम मीराबाई चानू है। मणिपुर इम्फाल ईस्ट के नोंगपोक में 8 अगस्त 1994 को जन्मीं मीरा एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता लोक निर्माण विभाग (PWD) में काम करते थे और उनकी मां एक छोटी सी दुकान चलाती थीं।
छोटी उम्र से ही मीराबाई भारी-भारी जलाऊ लकड़ी उठा लेतीं थीं, ये उनके परिवार और पड़ोसियों के लिए चौंकाने वाला होता था। चानू अपने भाई से 4 साल छोटी थीं लेकिन वो अपने भाई से ज्यादा लकड़ियां उठा लेती थीं, इससे ही वेटलिफ्टिंग का सपना शुरू हुआ।
उन्होंने इम्फाल में खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू की। मीरा के ट्रेनिंग और कोच एक प्रसिद्ध वेटलिफ्टिंग कोच विजय शर्मा रहे।

कुंजारानी देवी से प्रेरणा ली
मीराबाई चानू को जल्द ही भारत की सबसे सफल महिला वेटलिफ्टिंग कुंजारानी देवी से प्रेरणा मिली। चानू ने 20 साल की उम्र में देश से बाहर प्रसिद्धि तब पाई, जब उन्होंने स्कॉटलैंड में 2014 के कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स में 48 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीता।
वर्ल्ड चैंपियन भी रह चुकी हैं मीराबाई
वह पेरिस ओलिंपिक 2024 में मेडल से चूक गईं। 31 वर्षीय मीराबाई ने इस कॉम्पिटिशन के दौरान पीरियड्स आने पर कमजोरी होने की वजह से मेडल से चूक गईं थीं। वे पूर्व वर्ल्ड चैंपियन भी हैं, जिन्होंने 2017 में विश्व चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड जीता और कुल 194 किलोग्राम वजन उठाया। 2022 में सिल्वर मेडल जीता था। मीराबाई ने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता है।
2023 कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कूल्हे में चोट की वजह से वो नहीं खेल पाईं थीं। इससे पहले 2016 में 12 साल का नेशनल रिकॉर्ड तोड़ते हुए क्वालीफाई किया था, ओलिंपिक में चोटों और हार के बावजूद उन्होंने एक मजबूत वापसी की थी।
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