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DPS द्वारका मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। 15 मई को डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (DoE) ने DPS द्वारका से निकाले गए 32 बच्चों को वापस एडमिशन देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ 26 मई यानी सोमवार को DPS द्वारका हाईकोर्ट पहुंचा था।
बीते पांच सालों में DPS द्वारका की मनमानी फीस हाइक की शिकायत लेकर पेरेंट्स भी कोर्ट जा चुके हैं। उनका आरोप है कि स्कूल ने डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (DoE) की मंजूरी के बिना बीते 5 सालों में फीस ₹1,39,630 से बढ़ाकर करीब ₹1,90,000 कर दी है।
इसके अलावा स्कूल ने स्टूडेंट्स के साथ भेदभाव किया था और 32 स्टूडेंट्स को स्कूल से निकाल दिया था। इस मामले में अगली सुनवाई 5 जून को होगी।

क्या है पूरा मामला?
फीस बढ़ाने का ये विवाद 9 मई 2025 को शुरू हुआ था। DPS द्वारका स्कूल ने बढ़ी हुई फीस न भरने पर 32 बच्चों के नाम काट दिए थे। आरोप है कि 13 मई को जब ये बच्चे स्कूल पहुंचे, तो 4 मेल और दो फीमेल बाउंसर्स ने उनकी ID चेक की और उन्हें वापस भेज दिया गया।
इसके बाद 15 मई 2025 को 102 पेरेंट्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें स्कूल को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) के कंट्रोल में लेने की मांग की थी।
16 मई 2025 को जस्टिस विकास महाजन ने केस की सुनवाई करते हुए स्कूल से सवाल किया कि बिना नोटिस के 32 बच्चों को कैसे निकाला गया।
कोर्ट ने कहा कि स्कूल ने दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट, 1973 की धारा 35(4) का उल्लंघन किया है जिसमें निष्कासन से पहले पेरेंट्स को नोटिस देना जरूरी है।
कोर्ट ने स्कूल के वकील से नोटिस के सबूत मांगे थे लेकिन स्कूल कोई सबूत नहीं दे सका। 20 मई 2025 को भी जस्टिस सचिन दत्ता ने स्कूल के वकील पुनीत मित्तल से नोटिस के सबूत मांगे लेकिन स्कूल फिर कोई सबूत पेश नहीं कर सका।
कोर्ट ने बच्चों के निष्कासन को ‘सैडिस्टिक‘ और ‘अमानवीय‘ करार दिया। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था और केस में अगली सुनवाई 5 जून को करने की बात कही थी।
11 स्कूलों को फीस बढ़ाने पर दिल्ली सरकार का नोटिस, DPS द्वारका भी शामिल
DPS में फीस बढ़ने का मामला सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने स्कूलों का ऑडिट किया था। 17 अप्रैल 2025 को दिल्ली के 11 स्कूलों को पिछले 10 सालों तक ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने और गैर-कानूनी तरीके से फीस बढ़ाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इनमें DPS द्वारका भी शामिल है।
इन स्कूलों पर 2024-25 सत्र के लिए फीस बढ़ाने का आरोप हैं। ये फीस DoE की मंजूरी के बिना बढ़ाई गई। पेरेंट्स का आरोप है कि दिल्ली सरकार की कार्रवाई धीमी है। दिल्ली में 1,677 मान्यता प्राप्त निजी स्कूल हैं, जिनमें अभी सिर्फ 600 का ऑडिट हुआ है।
शिक्षा मंत्री बोले- निजी स्कूलों के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार निजी स्कूलों की अनियमितताओं पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाएगी। उन्होंने दावा किया कि AAP के समय में 75 स्कूलों के वार्षिक ऑडिट हुए, लेकिन BJP सरकार ने इसकी तुलना में तेजी से कार्रवाई की है।
वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार ‘शिक्षा माफिया’ के खिलाफ है और बच्चों के हितों की रक्षा करेगी। दूसरी ओर विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी ने BJP पर “शिक्षा माफिया” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
पूर्व शिक्षा मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर स्कूलों के ऑडिट के लिए CAG-पंजीकृत ऑडिटर नियुक्त करने और फीस वसूली पर रोक लगाने की मांग की है।

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