Indians donated billions of rupees to American universities including Harvard | Harvard University | हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लगभग 800 भारतीय स्‍टूडेंट्स पर संकट: टाटा, महिंद्रा, नारायण मूर्ति दे चुके हैं 450 करोड़ से ज्‍यादा का डोनेशन


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28 मिनट पहले

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23 मई 2025 को अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक नोटिस भेजा। इसमें कहा गया कि यूनिवर्सिटी अब अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला नहीं दे सकती।

हालांकि नोटिस मिलने के कुछ घंटों बाद, बोस्टन की एक संघीय जज, एलिसन बरोज ने DHS की कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगा दी। ये रोक करीब एक हफ्ते तक लागू रहेगी।

इससे पहले होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) को रद्द कर दिया था। इसके बिना कोई यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों को वीजा के तहत पढ़ाने की अनुमति नहीं दे सकता।

इसका मतलब है कि हार्वर्ड में पढ़ रहे 6,793 विदेशी छात्रों को या तो किसी और यूनिवर्सिटी में जाना होगा, या अपनी वीजा स्थिति बदलनी होगी, या फिर अमेरिका छोड़ना होगा।

लगभग 800 भारतीय स्‍टूडेंट्स संकट में

जारी विवाद के चलते लगभग 800 भारतीय स्‍टूडेंट्स संकट में हैं। बता दें कि हर साल लगभग 700 से 800 भारतीय स्‍टूडेंट्स पढ़ाई के लिए हार्वर्ड और लगभग 2.5 लाख से 3.5 लाख स्‍टूडेंट्स अन्‍य अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने जाते हैं। यही कारण है कि भारतीय उद्योगपति अक्‍सर इन यूनिवर्सिटीज को करोड़ों का अनुदान देते हैं।

इनके अलावा, भारतीय मूल के कई इंडस्ट्रलिस्ट और आंत्रप्रेन्योर ने अमेरिकी यूनिवर्सिटीज को अरबों रुपए डोनेट किए हैं।

1. डॉ. किरण और डॉ. पल्लवी पटेल : 2017 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. किरण पटेल और उनकी पत्नी, पीडियाट्रिशियन डॉ. पल्लवी पटेल ने पटेल फैमिली फाउंडेशन की ओर से फ्लोरिडा की नोवा साउथईस्टर्न यूनिवर्सिटी को $50 मिलियन (लगभग ₹1300 करोड़) का दान दिया था।

उन्होंने पटेल सेंटर फॉर ग्लोबल सॉल्यूशंस और कॉलेज ऑफ ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा को भी 30.5 मिलियन डॉलर का दान दिया है। ये अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों द्वारा दिए गए सबसे बड़े दानों में से एक है। इस दान से फ्लोरिडा और भारत में मेडिकल कॉलेज बनाए गए।

2. गुरुराज देशपांडे : 2002 में भारतीय-अमेरिकी आंत्रप्रेन्योर और वेंचर कैपिटलिस्ट, IIT-मद्रास के एलुमनाई गुरुराज देशपांडे ने MIT में ‘देशपांडे सेंटर फॉर टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन’ की स्थापना के लिए $20 मिलियन (लगभग ₹166 करोड़) का दान दिया।

2011 में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू ब्रंसविक को पॉन्ड-देशपांडे सेंटर के लिए $2.5 मिलियन (लगभग ₹20 करोड़) दिए।

3. मणि एल. भौमिक : 2016 में फिजिसिस्ट, राइटर और फिलांथ्रोपिस्ट, IIT-खड़गपुर के एलुमनाई मणि एल. भौमिक ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स (UCLA) को $11 मिलियन (लगभग ₹91 करोड़) डोनेट किए।

इस डोनेशन से UCLA में मणि एल. भौमिक इंस्टीट्यूट फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स का निर्माण हुआ। ये UCLA के इतिहास में फिजिक्स डिपार्टमेंट का सबसे बड़ा डोनेशन था।

4. चंद्रिका टंडन : 2015 में भारतीय-अमेरिकी बिजनेस वुमन और फिलांथ्रोपिस्ट, IIM अहमदाबाद की एलुमनाई चंद्रिका कृष्णमूर्ति टंडन ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) के इंजीनियरिंग स्कूल को पति रंजन टंडन के साथ मिलकर $100 मिलियन (लगभग ₹830 करोड़) डोनेट किए।

स्कूल का नाम NYU टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग रखा गया। चंद्रिका NYU टंडन स्कूल की बोर्ड चेयरमैन हैं और NYU के कई अन्य बोर्ड्स में एक्टिव हैं।

5. मुकुंद पद्मनाभन : 2015 में भारतीय-अमेरिकी साइंटिस्ट और हेज फंड पार्टनर, IIT खड़गपुर के एलुमनाई मुकुंद पद्मनाभन ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स (UCLA) को $25 लाख (लगभग ₹20 करोड़) का डोनेशन दिया। इससे यूनिवर्सिटी में इंटीग्रेटेड माइक्रोसिस्टम्स के लिए एक मॉडर्न इंजीनियरिंग लैब बनी। इससे पहले उन्होंने 3 बार $5 लाख (लगभग ₹4 करोड़) का दान दिया था।

6. विनोद गुप्ता : 2011 में भारतीय-अमेरिकी बिजनेसमैन और फिलांथ्रोपिस्ट, IIT खड़गपुर के एलुमनाई विनोद गुप्ता ने यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का, लिंकन को स्माल बिजनेस मैनेजमेंट के करिकुलम के लिए $20 लाख (लगभग ₹16 करोड़) डोनेट किए। साथ ही, साइंस एंड इंजीनियरिंग स्कूल्स के लिए $5 लाख (लगभग ₹4 करोड़) स्कॉलरशिप फंड दिया।

इसके अलावा, 2013 में उन्होंने अपने दिवंगत पुत्र की याद में $10 लाख (लगभग ₹8 करोड़) डोनेट करके ‘बेंजामिन केन गुप्ता फेलोशिप प्रोग्राम’ की शुरुआत की। इसे जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ बिजनेस और अमेरिकी विदेश विभाग के सहयोग से शुरू किया गया।

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