3 घंटे पहले
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हाल ही में शिक्षा विभाग में इक्वलिटी और इन्क्लूजन को बढ़ाने के लिए हरियाणा ह्यूमन राइट्स कमीशन ने एक ट्रांसजेंडर स्कूल को मान्यता दी है। कमीशन ने गुरुवार, 11 अप्रैल को इसे लेकर एक स्टेटमेंट भी दिया। इसके अनुसार, करनाल स्थित स्कूल के फाउंडर के फेवर में कमीशन ने फैसला सुनाया है। इस स्कूल में अंडर-प्रिविलेज्ड बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
2014 में खुला था स्कूल
इस स्कूल की शुरुआत साल 2014-15 में 800 स्क्वायर मीटर के एरिया में की गई थी। लेकिन नए नियमों के अनुसार मान्यता प्राप्त करने के लिए स्कूल की जगह 1500 स्क्वायर मीटर होनी चाहिए। स्कूल को मान्यता न मिलने के चलते एक याचिका डाली गई थीं। इसमें जमीन का मामला सबसे बड़ी वजह बताई गई थी।
हरियाणा ह्यूमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा ने दूसरे सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया के साथ मिलकर डीटेल्ड ऑर्डर जारी किया। ऑर्डर में ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट 2019 और भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 का हवाला दिया गया। आर्टिकल 14 भारत के हर नागरिक को सम्मान और समानता के साथ जीने का हक देता है।
‘ट्रांसजेंडर्स को बराबर शिक्षा और रोजगार का मौका दें सरकार’
आयोग ने कहा कि स्कूल की मान्यता को लेकर सहानुभूतिपूर्वक और समावेशी दृष्टिकोण से पुनर्विचार किया जाना चाहिए। जमीन के विवाद को लेकर स्कूल को मान्यता न देना ट्रांसजेंडर राइट्स एक्ट 2019 का उल्लंघन है। इस एक्ट के अलग-अलग प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रांसजेंडर्स को शिक्षा और रोजगार के बराबर मौके मिलें और उन्हें किसी तरह का भेदभाव न सहना पड़े।
ऑर्डर में 2014 का NALSA वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन की 2023 में जारी की गई एडवाइजरी का रेफ्रेंस भी दिया गया। इसी के साथ कमीशन ने शिकायत दर्ज कराने वाले की तारीफ की और सरकार को इस तरह के मामलों में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा है।
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